भावनाओं के प्रसव की उपज है कविता ..... वाह ! क्या बात है ? जबदस्त कविता है ये , इस कविता को मानो सुधा देवरानी ने दिल की गहराई में कलम डुबोकर लिखी है ।
इस कविता में ओर
भी एक पंक्ति है जो बयाँ करती है एक कवि की भावना और वो... इस प्रकार है...
फिर कागज पे कलम
से बुन लूँ
बन जाये कोई
कविता
जो मन को लगे
सुहानी
अरे ! आप तो
कविता में खो गए , मैं थोड़े ही यहाँ
पूरी कविता प्रस्तुत करनेवाला हु .....अगर आपको सुधा देवरानी द्वारा लिखी गई ये
पोस्ट पढ़नी है तो आपको यहाँ जाना होगा , तो चलो लिंक पर क्लिक करो दोस्तो और हाँ , सुधा देवरानी जी की कलम के बारे में उनके ब्लॉग पर जा कर दो
शब्द कमेंट के रूप में कहना जरूर |
तो चलिए अब बढ़ते है चन्द पंक्तियाँ की ओर , कौन कहता है कि कविताएं बस यूँ ही .... बन जाती है भाई ? अरे कविता लिखनेवालों को पूछो की दिल की गहराई के समंदर में डुबकी लगाकर स्मृति पटल पर उभरे शब्दो को कागज पर कैद करना कितना आनंद और दर्द से भरा होता है ?
खैर बात निकली ही
है चन्द पंक्तियाँ की , तो करते है चन्द
पंक्तियाँ में उभरे दर्द की और उस दर्द में छुपे सुगंध की , सुबोध दीक्षित की कलम आज कहती है चन्द पंक्तियाँ ..... जो
इस प्रकार है
माना कि ... पता
नहीं मुझे
पता तुम्हारा,
पर सुगन्धों को
भला
कब चाहिए साँसों
का पता
बोलो ना जरा ...
इस पोस्ट में
लिखी गई इस बात की गहराई में कभी जाना दोस्त , आपको कलम और महोब्बत की ताकत का अंदाजा हो जाएगा और उनके ब्लॉग पर जा कर दो शब्द कमेंट के रूप में कहना जरूर चन्द पंक्तियों में
सुबोध सिन्हा जीकी कलम को यहाँ पढ़िए
नोट : सुबोध जी की हम माफी चाहते है कि हमसे अनजाने में उनका नाम सुबोध सिन्हा की जगह सुबोध दीक्षित हो गया था ।
नोट : सुबोध जी की हम माफी चाहते है कि हमसे अनजाने में उनका नाम सुबोध सिन्हा की जगह सुबोध दीक्षित हो गया था ।
चलो अब आगे बढ़ाते
है कारवाँ ब्लॉग पंच 3 का और बात करते
है जमीन , घर , पेड़ , और पानी की , ओह ! बात नही भाई
, गुफ्तगू करते है कहो ।
पम्मी सिंह की कलम जब भी किसी मुद्दे पर गुफ्तगू करती है ना , तो दिल बाग बाग हो जाता है मगर गालो पर सबक के
चांटे की उंगलियां साफ दिखाई देती है । ऐसा ही एक सबक उनकी कलम ने हम सबको दिया है
.... जल संरक्षण के नाम से
उनकी कलम कहती है
कि .......
एहतियात जरूरी है,घर को बचाने के लिए।
पेड़-पौधे ज़रूरी
है,ज़मीन को संवारने के लिए।।
कर दिया ख़ाली ,जो ताल था कभी भरा ।
मौन धरा पूछ रही, किसने ये सुख हरा।।
पड़ा ना सबक का
चांटा ? अरे भाई हमने तो पहले ही
कहे दिया था कि सबक का चांटा पड़ता है पम्मी सिंह की कलम से , तो आगे से ये बात याद रखना और पानी याने जल
संरक्षण जरूर करना वर्ना अब की बार मौन धरा नही बल्कि पम्मी सिंह की कलम बोलेगी की
..... किसने ये सुख हरा ? तो अब उनके ब्लॉग
पर जा कर, दो शब्द कमेंट के रूप में
कहना जरूर ।
वीडियो ब्लॉग पंच
3 के कारवाँ को आगे बढ़ाते
है और अब आपको लेकर चलते है जल से सीधा चाँद पर , तो क्या आप तैयार है ? अरे ! भाई , जाना नही है मगर
यहीं से ही चाँद को कुछ सुनाना है और मुझे यकीन है की रेणु जी की कलम की आवाज चाँद
को भी सुनाई देगी ।
सुनो चाँद !..
अब नहीं हो! दुनिया के लिए,
तुम तनिक भी अंजाने, चाँद!
सब जान गए राज तुम्हारा
तुम इतने भी नहीं सुहाने, चाँद!
चाँद से भला कौन
प्यार नही करता ? क्यो की वो तो
पूरी दुनियाँ के मामा है और मामा शब्द में तो दो माँ आती है ,तो उनके ब्लॉग पर जा कर दो शब्द कमेंट के रूप
में कहना जरूर तो जाइये और कमेंट दीजिये इंतजार किस बात का भाई ?
चलो अब बहुत हुवा
पहले एक कवि का हृदय देखा फिर एक मोहब्बत से भरी कलम की सुगंध को देखा उसके बाद जल संरक्षण देखकर चाँद पर भी जा आये , तो भाई अब चाँद से वापस नीचे आ जाओ क्यों कि जीवन मे थोड़ा परिवर्तन भी जरूरी है । तो चलो चलते है
परिवर्तन की ओर ....... क्या बात है चलो चलते है कहने पर आप अकेले चल दिए ?
, रुको भाई हम भी तो आ रहे है ओमकार जी के गाँव
मे , हमे भी देखना है कि किस
परिवर्तन की बात वो करते है ।
मेरे गाँव में अब
पढ़े-लिखे रहते
हैं,
हिंदी समझते हैं,
पर अंग्रेज़ी कहते
हैं.
सच तो कहा है
ओमकार जी की कलम ने क्यों की इतनी मीठी हमारी राष्ट्रभाषा है मगर आज भी अंग्रेजी
बोलकर लोग रुबाब झाड़ते है , अंग्रेजी बोलने
से कुछ नही होता बंधु , जो होता है वो
बुद्धि से होता है और अपनेपन से होता है ..... भला ये अंग्रेजी में कहाँ है अपनापन
?
विडीओ ब्लॉग पंच 3 के एपिसोड में इन लिंको की प्रस्तुति करके
चर्चा की गई है कृपया एक बार जरूर देखें और कमेंट के रूप में वहां अपना आशीर्वाद
दर्ज करे
नोट : अगर आप भी अपने ब्लॉग को विडीओ ब्लॉग पंच में शामिल करना चाहते है तो आपके ब्लॉग की लिंक
हमे हमारे ईमेल आईडी पर भेजे , हमारा ईमेल आईडी
हमने वीडियो ब्लॉग पंच 3 के विडीओ में
दिया है ।
आप मुझे यहाँ
मिलिए :
धन्यवाद ,
बहुत सुन्दर. चर्चा में मेरी कविता को जगह दी.शुक्रिया.
ReplyDeleteस्वागतम आदरणीय बंधु
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआपका शुक्रिया ब्लॉग पञ्च , अपने तीसरे अंक में मेरी रचना को, मेरे अत्यंत स्नेही सहयोगी रचनाकारों माननीय ओंकार जी , सुबोध जी , प्रिय सखी सुधा देवरानी जी और पम्मी सिंह जी के साथ , स्थान देने के लिये | पर एक शिकायत है , इसे शेयर कैसे करें ? आपने ब्लॉग से पहले दातों का विज्ञापन लगा दिया है जिससे यह विज्ञापन वाला एपिसोड लगता है , ब्लॉग का नहीं | ब्लॉग की गरिमा और सम्मान होता है उसे दातों के घरेलु नुस्खे के साथ ना जोड़ें | नुस्खा आप बीच में भी बता सकते थे | सिर्फ इस घरेलू नुस्खे की वजह से शायद किसी ने इसे शेयर करने में रूचि नहीं दिखाई | शायद मेरा बात यदि आपको अच्छी ना लगी हो पर इसके बारे में सोचिये जरुर मेरे बन्धु | और कृपया ब्लॉग पर आदरणीय सुबोध जी के नाम को सही कर लें , वे सुबोध सिन्हा हैं ना कि सुबोध दीक्षित | एक बार फिर से आभार |
ReplyDeleteस्वागतम दीदी
Delete"शक्ति" फ़िल्म के "दिलीप कुमार जी" के अंदाज़ में चिल्लाने का मन कर कर रहा है ... कोई है !???? भाई कोई है !??? तलाक करवा दोगे भाई ? समाज से निकलवा दोगे भाई ? जानते नहीं क्या कि अपने देश में नाम बाद में लोग उपनाम पहले जानने में दिलचस्पी रखते हैं। ऐसे में 'सिन्हा' से ' दीक्षित' कर दोगे तो मेरा घर में रहना और बाहर निकलना दोनों दुश्वार हो जाएगा भाई !!!
ReplyDeleteदया करो भाई, बहन आप जो भी हो .. वादा करते हैं हम कि अगले जन्म में जाति-धर्म सूचक कोई भी उपनाम अपने बेटे शुभम् की तरह नहीं लगाएंगे ... तब तक बदल दो भाई /बहन ...प्लीज ... अभी नाश्ता भी नहीं "ढुंकेगा" .. आजकल कोई सुप्रभातम् भी नहीं बोलता है ... क्या करें ....
आदरणीय बंधु सुबोध जी सादर प्रणाम , सिन्हा की जगह दीक्षित लिख दिया है ये हमारी बड़ी भुल है , हो सके तो हमे बड़े दिलवाले बनकर माफ करना क्यों कि ये गलती हमसे अनजाने में हुई है ।
Deleteआशा रखता हूं कि आप हमें माफ करेंगे
: enoxo
Sundar prastuti
ReplyDeleteधन्यवाद नीतू दीदी
Deleteवाह!!लाजवाब प्रस्तुति ।
ReplyDeleteधन्यवाद शुभा दीदी
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